अगस्त २०२१ और अगस्त २०२२ में भारत के प्रमुख बॅरिएट्रिक सर्जन के मिलकर किया मोटापा पर सर्वेक्षण: सर्वेक्षण में १,०४६ मरीज हुए शामिल
मुंबई: अगस्त २०२१ और अगस्त २०२२ में भारत के प्रमुख बॅरिएट्रिक सर्जन के मिलकर मोटापा के संबंध में एक सर्वेक्षण अनोखा सर्वेक्षण किया हैं। इस सर्वेक्षण में मोटापा से पिडित १,०४६ मरीजों को शामिल किया गया था। यह सर्वेक्षण "डायबिटीज़ एंड ओबेसिटी इंटरनेशनल जर्नल" में प्रकाशित हुआ हैं। मुंबई के डॉ. अपर्णा गोविल भास्कर, नई दिल्ली के डॉ. अतुल एन. सी पीटर्स, जालंधर के डॉ. जीएस जम्मू, अहमदाबाद के डॉ. मनीष खेतान, चेन्नई के डॉ. राज पलानीप्पन, पुणे के डॉ. शशांक एस शाह, बैंगलोर के डॉ. शिवराम एचवी और कोयंबटूर के डॉ. प्रवीण राज ने मिलकर यह सर्वेक्षण किया हैं।
मोटापा एक वैश्किक स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा हैं। यह बिमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। भारत में मोटापे की दर चिंताजनक है। सर्वेक्षण के अनुसार २०४० तक पुरुषों में मोटापे की दर ९.५% और महिलाओं में १३.९% तक पहुंच जाएगी। २०१९-२०२० में आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बचपन में मोटापे की व्यापकता ९.४% थी। मोटापे से हृदय रोग, टाइप २ मधुमेह, कैंसर, स्लीप एपनिया, बांझपन और अन्य बीमारियों सहित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापे को अक्सर महज एक कॉस्मेटिक समस्या मानकर खारिज कर दिया जाता है या इच्छाशक्ति की कमी के कारण होने वाली स्थिति के रूप में देखा जाता है। जिसे केवल आहार और व्यायाम के जरिए ही नियंत्रित किया जा सकता है।
मुंबई के बेरिएट्रिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अपर्णा गोविल भास्कर का कहना हैं की, मोटे मरीज़ अक्सर क्रैश डाइट और तेजी से वजन घटाने के चक्कर में अपने शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। मोटापा की समस्या के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी हैं। टाइप २ मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी अन्य पुरानी स्थितियों की तरह, मोटापे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, न केवल वजन और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर, बल्कि मोटापे से संबंधित बीमारियों, हृदय जोखिम बढता हैं। लेकिन कई लोगों को इस बारे में पुरी जानकारी नही हैं।
इस सर्वेक्षण में ६३९ महिला और ४०७ पुरूष सामिल हुए थे। यह सर्वेक्षण १५-९७ आयु वर्ग के व्यक्तियों के बीच किया गया था। इसके लिए ६६.६३% मरीजों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी, ६.९% के लिए आहार और व्यायाम, और ४.६% मरीजों के लिए फार्माकोथेरेपी की आवश्यकता थी। कुल मिलाकर, हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि सटीकता ७८% थी। उपकरण को उम्र, बीएमआई, शारीरिक सीमाओं, बीमारियों की उपस्थिति, जीवन की गुणवत्ता, मानसिक स्वास्थ्य, यांत्रिक और आनुवंशिक कारकों जैसे जोखिम कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करके विकसित किया गया था। मोटापा के मरीजों के लिए बॅरिएट्रिक सर्जरी काफी फायदेमंद हैं।
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